08 जनवरी 2011

संक्षिप्त परिचय - डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली


नाम : डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली


सन्यासी नाम : श्री स्वामी निखिलेश्वरानंद जी महाराज
पिता : पंडित मुल्तान चन्द्र श्रीमाली
शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी) राजस्थान विश्वविद्यालय 1963.
पी.एच.डी. (हिन्दी) जोधपुर विश्वविद्यालय 1965

योग्यता क्षेत्र : आपने प्राच्य विद्याओं दर्शन, मनोविज्ञान,
परामनोविज्ञान, आयुर्वेद,
योग, ध्यान, सम्मोहन विज्ञानं एवं अन्य रहस्यमयी विद्याओं के क्षेत्र में
विशेष रूचि रखते हुए उनके पुनर्स्थापन में विशेष कार्य किया हैं. आपने
लगभग सौ से ज्यादा ग्रन्थ - मन्त्र - तंत्र, सम्मोहन, योग, आयुर्वेद,
ज्योतिष एवं अन्य विधाओं पर लिखे हैं.

चर्चित कृतियाँ : प्रैक्टिकल हिप्नोटिज्म, मन्त्र रहस्य, तांत्रिक
सिद्धियाँ, वृहद हस्तरेखा शास्त्र, श्मशान भैरवी (उपन्यास), हिमालय के
योगियों की गुप्त सिद्धियाँ,
गोपनीय दुर्लभ मंत्रों के रहस्य, तंत्र साधनायें.

अन्य : कुण्डलिनी नाद ब्रह्म, फिर दूर कहीं पायल खनकी, ध्यान, धरना और
समाधी, क्रिया योग, हिमालय का सिद्धयोगी, गुरु रहस्य, सूर्य सिद्धांत,
स्वर्ण तन्त्रं आदि.
सम्मान एवं पारितोषिक : भारतीय प्राच्य विद्याओं मन्त्र, तंत्र, यंत्र,
योग और आयुर्वेद के क्षेत्र में अनेक उपाधि एवं अलंकारों से आपका सम्मान
हुआ हैं. पराविज्ञान परिषद् वाराणसी में सन् 1987 में आपको “तंत्र –
शिरोमणि” उपाधि से विभूषित किया हैं. मन्त्र - संसथान उज्जैन में 1988
में आपको मन्त्र - शिरोमणि उपाधि से अलंकृत किया हैं. भूतपूर्व
उपराष्ट्रपति डॉ. बी.डी. जत्ती ने सन् 1982 में आपको महा महोपाध्याय की
उपाधि से सम्मानित किया हैं.
उपराष्ट्रपति डॉ. शंकरदयाल शर्मा ने 1989 में समाज शिरोमणि की उपाधि
प्रदान कर उपराष्ट्रपति भवन में डॉ. श्रीमाली का सम्मान कर गौरवान्वित
किया हैं. नेपाल के भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री भट्टराई ने 1991 में उनके
सामाजिक एवं धार्मिक कार्यों में विशेष योगदान के लिए नेपाल में आपको
सम्मानित किया हैं.

अध्यक्षता : भारत की राजधानी दिल्ली में आयोजित होने वाली विश्व ज्योतिष
सम्मलेन 1971 में आपने कई देशों के प्रतिनिधियों के बीच अध्यक्ष पद
सुशोभित किया. सन् 1981 से अब तक अधिकांश अखिल भारतीय ज्योतिष सम्मेलनों
के अध्यक्ष रहे. संस्थापक एवं संरक्षक – अखिल भारतीय सिद्धाश्रम साधक
परिवार. संस्थापक एवं संरक्षक – डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली फौंडेशन
चेरिटेबल ट्रस्ट सोसायटी.
विशेष योगदान : सम्मलेन, सेमिनार एवं अभिभाषणों के सन्दर्भ में आप विश्व
के लगभग सभी देशों की यात्रा कर चुके हैं. आपने तीर्थ स्थानों एवं भारत
के विशिष्ट पूजा स्थलों पर आध्यात्मिक एवं धार्मिक द्रष्टिकोण से विशेष
कार्य संपन्न किये हैं. उनके एतिहासिक एवं धार्मिक महत्वपूर्ण द्रष्टिकोण
को प्रामाणिकता के साथ पुनर्स्थापित किया हैं. सभी 108 उपनिषदों पर आपने
कार्य किया हैं, उनके गहन दर्शन एवं ज्ञान को सरल भाषा में प्रस्तुत कर
जन सामान्य के लिए विशेष योगदान दिया हैं. अब 23 उपनिषदों का प्रकाशन हो
रहा हैं. मन्त्र के क्षेत्र में आप एक स्तम्भ के रूप में जाने जाते हैं,
तंत्र जैसी लुप्त हुयी गोपनीय विद्याओं को डॉ. श्रीमाली जी ने
सर्वग्राह्य बनाया हैं. आपने अपने जीवन में कई तांत्रिक, मान्त्रिक
सम्मेलनों की अध्यक्षता की हैं. भारत की प्रतिष्ठित पत्र -पत्रिकाओं में
40 से भी अधिक शोध लेख मंत्रों के प्रभाव एवं प्रामाणिकता पर प्रकाशित कर
चुके हैं.
आप पुरे विश्व में अभी तक कई स्थानों पर यज्ञ करा चुके हैं, जो विश्व
बंधुत्व एवं विश्व शांति की दिशा में अद्वितीय कार्य हैं. योग, मन्त्र,
तंत्र, यंत्र, आयुर्वेद विद्याओं के नाम से अभी तक सैकडो साधना शिविर
आपके दिशा निर्देश में संपन्न हो चुके हैं.

सिद्धाश्रम : डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली फौंडेशन इंटरनॅशनल चेरिटेबल
ट्रस्ट सोसायटी द्वारा निर्मित एक भव्य, जिवंत, जाग्रत, शिक्षा, संस्कृति
व अध्यात्म का विशालतम केंद्र सिद्धाश्रम. न केवल भारतवर्ष अपितु विदेशों
में उपरोक्त विद्याओं का विस्तार, साधना शिविरों की देशव्यापी श्र्रंखला.
प्राकृतिक चिकित्सा व आयुर्वेद अनुसन्धान व उत्थान केंद्र. मानवतावादी
अध्यात्मिक चेतना का विस्तार.